जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
हिम्मत से समन्दर में उतर जाते क्यूँ नहीं हिम्मत से समन्दर में उतर जाते क्यूँ नहीं
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...
माँ माँ
विद्यालय हमें, अनुशासन भी सिखाता है, वह हमें आगे बढ़ने की, राह भी दिखाता है। विद्यालय हमें, अनुशासन भी सिखाता है, वह हमें आगे बढ़ने की, राह भी दिखात...